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Hezbollah-Israel Conflict (हेज़बुल्लाह-इज़राइल संघर्ष)

  • savethistime01
  • Jan 27
  • 2 min read

हाल के दिनों में, लेबनान स्थित आतंकवादी संगठन हेज़बुल्लाह और इज़राइल के बीच संघर्ष में तेज़ी आई है। यह संघर्ष केवल क्षेत्रीय संघर्ष नहीं है, बल्कि यह एक लंबी और जटिल राजनीतिक, धार्मिक, और सैन्य परिप्रेक्ष्य में फैला हुआ है। इस ब्लॉग पोस्ट में हम हेज़बुल्लाह-इज़राइल संघर्ष के इतिहास, वर्तमान स्थिति और इसके वैश्विक प्रभाव पर चर्चा करेंगे।

Soldiers in camouflage uniforms hold yellow flags with green emblems, marching and shouting outdoors on a sunny day, surrounded by trees.

हेज़बुल्लाह का उदय और इज़राइल से उसका संबंध


हेज़बुल्लाह, जो एक शिया मुस्लिम संगठन है, 1982 में इज़राइल के लेबनान में आक्रमण के बाद अस्तित्व में आया। इस समूह का मुख्य उद्देश्य इज़राइल के खिलाफ संघर्ष करना था और लेबनान में शिया समुदाय के हितों की रक्षा करना था। हेज़बुल्लाह ने खुद को एक प्रतिरोध आंदोलन के रूप में प्रस्तुत किया और इज़राइल को "काफी बड़ा दुश्मन" मानते हुए उसे खत्म करने के लिए संघर्ष जारी रखा।


इज़राइल और हेज़बुल्लाह के बीच कई युद्ध हो चुके हैं, जिनमें 2006 का इज़राइल-हेज़बुल्लाह युद्ध सबसे प्रमुख था। इस युद्ध में इज़राइल को भारी नुकसान हुआ था और यह संघर्ष क्षेत्रीय राजनीति में महत्वपूर्ण मोड़ लेकर आया।


2025 के संघर्ष का आलंब


हाल ही में, इज़राइल ने हेज़बुल्लाह के ठिकानों पर हमले तेज़ कर दिए हैं, जिनमें कई हज़ारों रॉकेटों की बौछार की गई। इज़राइल का कहना है कि हेज़बुल्लाह के पास बड़े पैमाने पर मिसाइल और युद्धक सामग्री हैं, जिनका इस्तेमाल इज़राइल को नुकसान पहुँचाने के लिए किया जा रहा है। इज़राइल ने हेज़बुल्लाह के सैन्य ठिकानों को निशाना बनाते हुए बमबारी की, जिससे लेबनान के कुछ हिस्सों में भारी तबाही हुई।


हेज़बुल्लाह ने जवाबी कार्रवाई करते हुए इज़राइल के उत्तर-पश्चिमी हिस्सों में रॉकेट हमला किया और इज़राइल के कई सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया। यह संघर्ष एक व्यापक सैन्य तनाव का संकेत है, जिसमें हेज़बुल्लाह और इज़राइल दोनों के पास अत्याधुनिक हथियारों का भंडार है।


वैश्विक प्रभाव


हेज़बुल्लाह-इज़राइल संघर्ष केवल इन दोनों देशों तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका वैश्विक असर भी है। इस संघर्ष को इरान और सीरिया जैसे देशों से समर्थन प्राप्त है, जो हेज़बुल्लाह के साथ खड़े हैं। दूसरी तरफ, इज़राइल के पास अमेरिका जैसे पश्चिमी देशों का समर्थन है। इस संघर्ष के कारण क्षेत्र में अस्थिरता बढ़ रही है और मध्य-पूर्व में पहले से ही मौजूद तनाव और गहरा हो सकता है।


इस संघर्ष का एक और महत्वपूर्ण पहलू यह है कि यह संघर्ष मुस्लिम और यहूदी समुदाय के बीच बढ़ते तनाव को और अधिक बढ़ा सकता है, जो वैश्विक स्तर पर धार्मिक और राजनीतिक विवादों का कारण बन सकता है।


क्या है समाधान?


हेज़बुल्लाह और इज़राइल के बीच संघर्ष का समाधान कोई आसान काम नहीं है। कई बार संघर्षविराम के समझौतों की कोशिश की गई है, लेकिन इनमें से कोई भी लंबे समय तक नहीं टिक पाया है। दोनों पक्षों की प्रमुख मांगें और उद्देश्यों में बड़ा अंतर है, जिससे किसी स्थायी शांति समझौते का रास्ता बहुत कठिन हो जाता है।


इज़राइल के लिए, हेज़बुल्लाह का आतंकवाद और मिसाइल क्षमता सबसे बड़ी चुनौती है। वहीं, हेज़बुल्लाह के लिए इज़राइल के साथ शांति की स्थापना का सवाल उसके अस्तित्व और वजूद पर निर्भर करता है। इसके अलावा, वैश्विक राजनीति में भी दोनों देशों के समर्थक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

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